Thursday, August 25, 2011

Recent Love

********LOVE DEPENDS ON MONEY********
Hi,friends i am Ashiq Ali and reached up to 25 years of age with many solving or you may say facing many  obstacles and problems in my life but in another hand i got a lot of experience about "How to live in this world of struggling life.Then i want to tell you friends the major part of our life is love and the future depends upon "whom your loving and how your loving?
LOVE IS LIFE AND LIFE YOU
you can also imagine that your life is vehicles of long road and your are a driver so go or drive how you want and where to go?

Wednesday, August 24, 2011

Indian Team



Hi, friends i would like to express some points about  Indian Players and if it hurts  you then excuse me but what to do if you love some one and he/she will upset you then at that time you will feel bad about them.As well as i am feeling so.Indian players are like baby of cricket game so their are in training session.He was number one in test ranking but now in the third position and this is all about failure of Indian captain.India loss defeat by 4-0 with England which means  a hero became zero with goore.But a good thing was a Dravid who played for country not for self like sachin.   


Friday, August 19, 2011

Prem ke sath


हेलो दोस्तो! आप अपने साथी के आकर्षण का केंद्र बने रहने के लिए क्या कुछ नहीं करते हैं। वह आपकी ओर विशेष ध्यान दे और महत्व दे। इसके लिए आप अपनी हर छोटी-बड़ी बातों का खयाल रखने लगते हैं। कैसी पोशाक, कौन सा रंग, कैसी भाषा, कैसा हाव-भाव उन्हें अच्छे लगेगा इसका ध्यान हर समय बना रहता है। आपके इस प्रयास पर जब आपको प्रशंसा मिलती है तो आपकी खुशी की सीमा नहीं रहती। आपको लगता है, आप अपने साथी को समझने लगे हैं। उन्हें खुश रख सकते हैं। अपने व्यवहार, अपनी बुद्धि, अपनी समझदारी से उन्हें आनंद पहुंचा सकते हैं। 

जब तक ये सारी कोशिशें सहज रूप से चलती रहती हैं तब तक किसी को कोई दिक्कत नहीं होती है। लेकिन जब यही सतर्कता जुनून बन जाए तो दोनों की सहज मित्रता पर असामान्यता के बादल मंडराने लगते हैं। अति सतर्क होकर एक साथी न केवल अपना मूल स्वभाव खो बैठता है बल्कि वह कई बार असहनीय सा लगने लगता है। सामने वाला उस नकली साथी में मूल व्यक्ति को ढूंढ़ता फिरता है। उसको अपनी तारीफ करने पर कोफ्त होने लगती है। 

ऐसे ही एक जुनूनी दोस्त से परेशान हैं अमर (बदला हुआ नाम)। उनकी दोस्त शगुन (बदला हुआ नाम) अमर को इतना प्यार करती है कि उसकी हर बात को एक पाठ समझकर रट लेती है और बस उसको अपने जीवन में उतारने का जुनून पाल लेती है। उसके बाद वह अपने दोस्त का पूरा ध्यान अपनी उस आदत, व्यवहार या रूपसज्जा की ओर खींचना चाहती है। यदि किसी कारणवश अमर उस ओर ध्यान देना भूल जाता है तो शगुन का आत्मविश्वास डोलने लगता है। शगुन के व्यक्तित्व के इस बदलाव से अमर को बेहद चिढ़ सी होती जा रही है। उसे समझ नहीं आता कि वह अपनी दोस्त में पुरानी शगुन को कैसे वापस लाए। 


आपका परेशान होना स्वभाविक है। आपने उस शगुन को जब पसंद किया था तब वह आपके नहीं बल्कि अपने हिसाब से जी रही थी। उसका जीवन के प्रति दृष्टिकोण, पहनावा, व्यवहार उसका अपना था। उसमें आपकी पसंद-नापसंद की कोई दखलअंदाजी नहीं थी। वह अपने अंदाज में जी रही थी और आप अपने। दोनों का जुदा अंदाज होते हुए भी उसमें कई मुद्दों पर समान सोच, समान पसंद ही रिश्ते में चार चांद लगाते थे यही आकर्षण का मूल मंत्र था। पर एक व्यक्ति अपनी स्वाभाविक सहजाता खो दे तो रिश्ते का मजा जाता रहता है। ऐसा लगता है मानो एक वयस्क किसी बच्चे से संवाद बना रहा है। 

वयस्क रिश्ते में एक व्यक्ति चाहे जितना भी आत्मविश्वास से भरा क्यों न हो उसे भी अपने साथी से मानसिक सहयोग की जरूरत महसूस होती है। इसलिए दोनों व्यक्तियों का अपना-अपना मजबूत व्यक्तित्व होना जरूरी है। एक-दूसरे की पसंद-नापसंद का खयाल रखना, अच्छा लगना जरूरी है पर इसकी कीमत अपनी शख्सियत को खोकर नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से अंततः भला किसी का भी नहीं होने वाला है। 

हां, दो लोग आपस में अवश्य ऐसा काम न करें जो बिल्कुल ही किसी को नागवार गुजरता हो। पर, जो बुनियादी स्वभाव है, उसे बिल्कुल ही अलविदा नहीं कर देना चाहिए। किसी के अति सतर्क हो जाने की आदत को खत्म करने के लिए उस पर विशेष ध्यान देना या टीका-टिप्पणी करना छोड़ देना चाहिए। हो सकता है, इस व्यवहार से सामने वाला दो-चार बार विचलित हो पर धीरे-धीरे उसका ध्यान इस ओर से हटता जाएगा। उसे जो अच्छा लगेगा वही वह करने लगेगा या लगेगी। 

निजी बातों से विषय हटाकर केवल काम की बातों पर केंद्रित कर देनी चाहिए। काम के संदर्भ में भी अच्छी या बुरी तीखी प्रतिक्रिया से बचना चाहिए। ऐसा करने से सामने वाला, दूसरे की प्रतिक्रिया का ज्यादा परवाह करना छोड़ देता है और वह सहज, संतुलित व सामान्य व्यवहार करने लगता है। 

कोई एक साथी यदि किसी भी कारण से अपनी साथी से अधिक प्रभावित हो या असुरक्षित महसूस करता हो तो ऐसे में दोनों को सावधान रहना चाहिए। जो व्यक्ति अपने साथी को खोने से डरता है वह अमूमन सामने वाले को खुश करने के लिए अपना मूल स्वभाव छोड़ने लगता है। ऐसे में कमजोर साथी को ज्यादा से ज्यादा भरोसा दिलाना चाहिए। उसे एहसास कराना चाहिए कि वह जैसा या जैसी भी है वही उसकी व्यक्तित्व की थ1.



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कुछ दिनों पहले हम एक जनरल स्टोर में कुछ सामान लेने गए। स्टोर के पास ही एक एसटीडी बूथ भी था। जहाँ पर दो किशोर लड़कियाँ जो मुश्किल से 13-15 साल की होंगी मौजूद थीं। पर आगे की घटना हमें और भी अचंभित कर गई। उनमें से एक लड़की फोन पर बात करते हुए कह रही थी, "प्लीज आप मेरा प्यार तो मत ठुकराओ।" उसकी बात खत्म होने के बाद दूसरी लड़की ने भी फोन पर कुछ इसी तरह की बात की। उनकी इस उम्र में की गई इस तरह की बातचीत निश्चित ही कई सवाल खड़े करती है।

वह उम्र जो कभी मासूमियतभरी होती थी आज समय से पहले ही परिपक्व हो रही है। दरअसल फिल्मों, पत्रिकाओं, इंटरनेट, टीवी आदि पर वयस्क सामग्री देखकर किशोर उम्र के लड़के-लड़कियाँ उस ओर आकर्षित हो रहे हैं। छोटी उम्र में ही "प्यार" जैसे परिपक्व और गहरे भाव को वे मजाक की तरह ले रहे हैं। फैशनेबल कहलाने के लिए 'ब्वॉयफ्रेंड' व 'गर्लफ्रेंड' जैसे रिश्ते बना रहे हैं।

आज से चंद साल पहले तक भी यह बातें इतनी "कॉमन" नहीं थी, पर आज की पीढ़ी की जिंदगी में यह जरूरत के तौर पर शामिल हो गई है। टीनएजर्स में इस ट्रेंड के आने का रास्ता युवाओं से जुड़ा है। वे अपने बड़ों को जिस तरह का व्यवहार करते देखते हैं, वैसा ही खुद भी करना चाहते हैं। फिर रिश्तों से जुड़े कमिटमेंट के मामले में तो आजकल युवा क्या उनके बड़े तक बचकाना व्यवहार कर रहे हैं। उम्रभर के रिश्तों को झटके से कम समय में तोड़ देना या झूठी शान बघारने के लिए रिश्ते बनाना आज आम होता जा रहा है। जिसके कारण अपराध भी बढ़ रहे हैं और तमाम तरह की मानसिक परेशानियाँ भी।

प्यार करना या किसी रिश्ते में बँधना बुरी बात नहीं है। बशर्ते आप उसे सही उम्र में सही ढंग से करें और सही मंजिल पर ले जाएँ। 13-14 साल की उम्र प्यार की महत्ता और गहराई को समझने के लिए बहुत कच्ची है। जाहिर है कि इस उम्र में यह रिश्ता भी बचकाना-सा ही होता है। स्कूली लड़कियों के लिए ब्वॉयफ्रेंड अच्छी चॉकलेट और महँगे गिफ्ट पाने का जरिया है तो वहीं लड़कों के लिए गर्लफ्रेंड का होना शान की बात है। उधर युवाओं में मूवी देखने और उच्चस्तरीय जीवन जीने की चाह में गर्लफ्रेंड-ब्वॉयफ्रेंड वाले रिश्ते रखना अब आम बात है।

जाहिर है कि आज प्यार करना अधिकतर खेल के तौर लिया जा रहा है और चुभने वाली बात यह है कि स्कूल और कॉलेज जाने वाले किशोर और युवा "यूज एंड थ्रो" (इस्तेमाल करो और फेंको) की पॉलिसी अपना रहे हैं। प्यार करना उन्हें बड़ा आसान लगता है, पर इसे निभाना या किसी रिश्ते में बदलना बंधन लगता है। यह सिर्फ बच्चों या युवाओं तक सीमित नहीं रहा लगभग 80 प्रतिशत लोग इसी चलन को अपना रहे हैं, उन्हें अपना साथी बदलने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं होती। आज एक घर में रहते हुए भी बच्चे अपने पैरेंट्स से दूर हो गए हैं। 

व्यस्त माता-पिता भी बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते कि वे घंटों फोन पर किससे बात कर रहे हैं या इंटरनेट पर किससे चैटिंग कर रहे हैं? उधर माता-पिता के बीच बढ़ता तनाव तथा विवाहेत्तर संबंध आदि के चलते बच्चे भी या तो कुंठा में जीने लगते हैं या फिर वे भी उसी रास्ते पर चल पड़ते हैं। 

आश्चर्यजनक बात है कि अब तो "फेसबुक" पर "रिलेशनशिप स्टेटस" अपडेट करने तक के लिए किशोरों को किसी की जरूरत नहीं है। आज किशोरों के आसपास की दुनिया तेजी से बदली है। उनके पास असीमित संसाधन हैं और जानकारी के ढेर स्रोत। जाहिर है कि इस चीज ने उन्हें मानसिक रूप से वक्त से पहले की परिपक्वता भी दी है। इसलिए रिश्ते बनाने के मामले में भी वे जल्दबाजी करते हैं, लेकिन जरूरत सिर्फ इस बात की है कि उन्हें उस रिश्ते की कद्र हो तथा वे प्रेम की गहराई को भी समझें।

हालाँकि इस बहाव में ऐसे भी कुछ लोग हैं, जो मजबूती से अपने आपको संभाले हुए हैं। अगर वे कोई नया रिश्ता बना रहे हैं तो उसे ताउम्र निभाने की ताकत भी उनमें हैं। साथ ही अपने रिलेशन्स को लेकर व्यावहारिक सोच-समझ भी वे रखते हैं। कई ऐसे किशोर तथा युवा भी हैं, जो अपने रिश्ते को लेकर बेहद गंभीर हैं और इस मामले में वे अपने माता-पिता से भी पारदर्शिता रखते हैं। अपने "प्रेम" के प्रति गंभीरता और दायित्व उन्हें जीवन में कुछ करने के लिए प्रेरित करता है।

ऐसे किशोर तथा युवा अपने साथी की प्रेरणा से अपना करियर, अपना जीवन बेहतर तरीके से संवार सकते हैं। अपने साथी के प्रति ईमानदारी व समर्पण का भाव उन्हें आत्मिक संतोष देता है। उनकी आपसी समझ समय के साथ-साथ इतनी गहरी होती जाती है कि एक-दूसरे की कमियाँ व खामियाँ वे नजरअंदाज करना सीख जाते हैं, जिससे उनका रिश्ता बना रहता है। एक-दूसरे की भावनाओं, विचारों और आदतों का वे सम्मान करते हैं। यह "बॉडिंग" उन्हें अंदर से बेहद खुश और मजबूत बनाती है और वे जिंदगी में आने वाली मुश्किलों को आसानी से सुलझा लेते हैं।

आवश्यकता इस बात की है कि प्रबल और सच्चा प्रेम जीवन को स्थिरता प्रदान करता है, यह बात सभी समझ पाएँ। अगर इतना समझ गए तो किशोर क्या बड़े भी रिश्तों की कद्र करना सीख जाएँगे।
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Indian Civil War

Anna supporter may lead the president of civil war watch on Update News coming soon.